सेवाभावियों के बढे जनसेवा की ओर कदम!"श्रेष्ठतम स्ट्रीट स्कूल" के बच्चों को मिला पढने और खेलने का आधुनिक सामान !
सेवाभावियों के बढे जनसेवा की ओर कदम!
◾"श्रेष्ठतम स्ट्रीट स्कूल" के बच्चों को मिला पढने और खेलने का आधुनिक सामान ! ◾भ्रष्ट मिरा-भाईंदर मनपा प्रशासन द्वारा अमानवीय तरीके से बेघर किये गए काशीगांव के मजबूर व बेबस परिवारों को राशन दे रहे हैं सेवाभावी लोग !!
▪️श्रवण शर्मा / मिरा-भाईंदर शहर▪️
जिस प्रकार शहर में समाजसेवा का ढोंग करके अपनी राजनीतिक जमीन तैयार वाले तथाकथित समाजसेवियों और बिना कुछ किये ही प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया सहित सोशल साइट्स पर चमकेशगिरी करनेवाले तथाकथित समाज सेवकों व नेताओं की जैसे कोई कमी नहीं है, ठीक उसी प्रकार सहृदयता के साथ सेवाभावी विचार रखनेवाले तथा जरुरतमंद लोगों की सहायता करनेवाले सेवाभावियों की भी कोई कमी नहीं है!
उदाहरण स्वरूप भाईंदर पश्चिम की निर्माणाधीन इमारतों में काम करनेवाले तथा झोपडपट्टियों में रहनेवाले अशिक्षित एवम गरीब मजदूरों के बच्चों को "श्रेष्ठतम स्ट्रीट स्कूल" के माध्यम से पढाकर, भविष्य में उन्हें समाज,
शहर और देश की मुख्यधारा से जोडने की महत्वाकांक्षा के साथ काम करने वाली 'शांतिसेवा फाउंडेशन' नामक संस्था की संस्थापिका श्रीमती नीलम तेली जैन को, उन गरीब बच्चों के पढने और खेलने का काफी सामान शहर की ही एक महिला श्रीमती रुपिंदर शेट्टियार ने भेंट स्वरूप प्रदान किया।
ज्ञात हो कि श्रीमती रुपिंदर शेट्टिगार मिरा-भाईंदर भाजपा इकाई में 'महिला सक्षमीकरण एवम् बाल कल्याण विभाग' की अध्यक्ष होने के साथ ही Humanitarian Archers की फाउंडर भी हैं, जिसकी स्थापना उन्होंने साल 2010 में की थी। रुपिंदर शेट्टिगार "श्रेष्ठतम स्ट्रीट स्कूल" के बच्चों के बैठने के लिए कुर्सियों का सेट, 70 विभिन्न प्रकार के गेमों की बुक्स, बैग, खिलौने इत्यादि भेंट स्वरूप दिया। ऐसी जानकारी मिली। इन चीजों को पाकर मासूम बच्चे और उनकी पढाई वाली "नीलम मां" की खुशी छुपाए नही छुप रही! क्योंकि बच्चे इन सब चीजों को अपने जीवन में पहली बार देखा व उपयोग कर रहे हैं तथा नित नई-नई आर्थिक समस्याओं एवम परेशानियों से जूझती नीलम तेली चाहकर भी, उन बच्चों को ये सारी चीजें उपलब्ध नहीं करा सकती थी।
भाईंदर पश्चिम में पहले खुली सडक पर और वर्तमान समय में एक निर्माणाधीन इमारत में चलाई जा रही इस स्ट्रीट स्कूल में फिलहाल करीब 80 बच्चों का समावेश है। जानकारी मिलने पर इन बच्चों के लिए शहर के सेवाभावी लोग समय-समय पर अपनी उपस्थिति देते हैं तथा यथायोग्य सहयोग भी!
समाजसेवी नीलम तेली जैन बताती हैं कि, ईश्वरीय प्रेरणा से चार बच्चों से शुरुआत हुई थी और बढते-बढते इतने बच्चे हो गए। ईश्वर ने शुरुआत कराई थी और उसी की अनुकंपा एवं शहरी सेवाभावियों के सहयोग से यह सब कैसे चल रहा है, मुझे पता नहीं! इस संदर्भ में वे श्रमदान देनेवाली स्कूल की प्रिंसिपल श्रीमती पूनम, सभी टीचर्स और विशेष रूप से किसी रितेश शाह नामक व्यक्ति के प्रति अपना आभार व्यक्त करना नहीं भूली।
सेवाभावियों का अन्य दूसरा उदाहरण इससे जरा अलग है! ज्ञात होगा कि, गत् 25 अगस्त को मिरा-भाईंदर मनपा प्रशासन ने अपनी अमानवीयता व अनीति तथा भ्रष्ट कार्यशैली का परिचय देते हुए काशीगांव परिसर में सैकडों (लगभग 300) घरों को उनकी घरपट्टी (मनपा द्वारा ही जारी दस्तावेज) होने के बावजूद अवैध घोषित करते हुए तोडकर, उन परिवारों को बेघर कर दिया था। मनपा अधिकारियों ने वहां के लोगों को लीगल नोटिस देना तो दूर, उन्हें उनका जरूरी व कीमती सामान तक निकालने का अवसर नहीं दिया था! उन दिनों शहर के अनेक नेताओं, अभिनेताओं और कथित समाजसेवकों ने उन उजडे परिवारों से मगरमच्छी सहानुभूति दिखाते हुए प्रिंट व इलेक्ट्रॉनिक मीडिया सहित सोशल साइट्स पर अपने आपको खूब चमकाया था। आश्चर्य वाली बात यह है कि, तब से वे सैकडों बेघर परिवार प्लास्टिक, ताडपत्री व अन्य चीजों का उपयोग करके वहीं, लाखों रुपये भूमाफियाओं को देकर खरीदे गए, अपने घरों की जमीन पर धूप और बरसात में नारकीय जीवन गुजार रहे हैं! क्योंकि उनमें अभी भी न्याय मिलने की उम्मीद बाकी है।
उन बेघर-परेशानहाल लोगों की पेट भरने की विकट समस्या पर संज्ञान लेते हुए, नीलम तेली की "शांतिसेवा फाउंडेशन" (भाईंदर), "मां फाउंडेशन (गोरेगांव), "सरदार वल्लभ भाई पटेल सेवा समिति" जुहू और योगा प्रशिक्षक श्रीमती राखी माथुर के संयुक्त तत्वावधान में गुरुवार दिनांक 30 सितंबर को दोपहर 3 बजे, वहां के जरुरतमंद व मजबूर परिवारों को राशन के किट प्रदान किये जा रहे हैं।
मिरा-भाईंदर शहर के चमकेशगिरी करनेवाले तथाकथित स्वघोषित समाज सेवकों और नेताओं को उस समय वहां जरूर जाना चाहिए और अपनी चुल्लू में पानी भरकर, उसमें अपनी नाक डुबोकर, कैसा लगता है, इसका अहसास लेना चाहिए अथवा सच्चे सेवाभावी लोगों से शिक्षा लेकर अपनी सोच व कार्यशैली को बदल कर समाज व शहर के मजबूर एवं जरूरतमंद लोगों की सहायता करने में सहभागी बनने का यथासंभव प्रयास करना चाहिए! ऐसा शहर के प्रबुद्धजनों का कहना है।
- निर्भय कलम
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