अखबार में भगतसिंह की फांसी की खबर ने स्वतंत्रता संग्राम में अहम भूमिका निभाई थी!

जयंती विशेष...

अखबार में भगतसिंह की फांसी की खबर ने स्वतंत्रता संग्राम में अहम भूमिका निभाई थी!

▪️श्रवण शर्मा
शहीद-ए-आजम की उपाधिप्राप्त भगत सिंह का जन्म आज ही के दिन 28 सितंबर 1907 में 'बंगा' नामक गांव में हुआ था, जो अब पाकिस्तान में आता है। मात्र 23 वर्ष की उम्र में 23 मार्च 1931 में तत्कालीन अंग्रेजों की हुकूमत ने उन्हें, उनके देशप्रेम की मानसिकता के कारण सूली पर लटका दिया था।
शहीद भगतसिंह को लिखने का भी शौक था। उन्होंने अपने जेल प्रवास के दौरान एक डायरी भी लिखी थी, जिसके पेज नंबर 43 पर उन्होंने मानव और मानव जाति के विषय पर लिखा है कि, "मैं एक इंसान हूं और मानव जाति को प्रभावित करने वाली हर चीज से मेरा सरोकार है"।  
इतिहास के पन्नों में दर्ज है कि, सन 1931 में अलीगढ़ के एक गांव 'वीरपुरा' के रहने वाले स्वतंत्रता सेनानी श्री श्याम बिहारी लाल द्वारा इलाहाबाद से प्रकाशित होने वाले 'भविष्य' नामक अखबार की प्रतियों का एक बंडल किसी तरह अंग्रेजों की नजर से बचाकर अलीगढ़ लाया गया था। इसी अखबार से अलीगढ़ के लोगों ने जाना था कि, भगत सिंह और उनके साथियों को किस अंदाज में फांसी दी गई।
गौरतलब है कि, दशकों पहले भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में शहीद-ए-आजम भगत सिंह और उनके साथियों को फांसी दिए जाने पर एक अहम मोड आया था।अलीगढ़ इस ऐतिहासिक घटना की स्मृतियों को सहेजने वाला शहर है।
उस घटना के लगभग 80 वर्षों के बाद संसद भवन में सन 2008 में शहीद भगत सिंह की प्रतिमा स्थापित की गई। 18 फीट ऊंची इस कांस्य प्रतिमा में उन्हें पगड़ी पहने दिखाया गया है, जिसके बाद बवाल चालू हो गया था। कहते हैं कि, भगत सिंह ने 1928 से 23 मार्च, 1931 को फांसी दिए जाने तक पगड़ी नहीं पहनी थी।
(इतिहास के पन्नों से संकलित लेख)
प्रस्तुति : सृष्टि मेट्रो  
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