मनपा आयुक्त अनिल पवार ने दुबारा थमा दिया अजित मुठे को "अतिक्रमण विभाग" की कमान.!

वसई(एस एस मिश्रा):.आज मनपा आयुक्त अनिल पवार ने आदेश पारित कर आधिकारिक रूप से सभी नए और पुराने उपायुक्तों के विभाग और जिम्मेदारियों का आवंटन कर दिया। उपायुक्त अजित मुठे को परिमंडल -1 के प्रभार,अन्य विभागों के साथ साथ दुबारा “अतिक्रमण विभाग” की ज़िम्मेदारी दी गयी है. अजित मुठे की सबसे बड़ी चुनौती होगी अवैध बांधकाम को संरक्षण देते भ्रष्ट अधिकारीयों,अभियंताओं और भूमाफियाओं के बने गिरोह पर नकेल कसना और लंबे समय से हज़ारो की तादाद में निर्गत की गयी MRTP नोटिस पर कार्यवाई करना।
वैसे तो सभी वार्ड/प्रभाग समितियों में कदम-कदम पर शहर की सड़कें, फुटपाथ, सरकारी जमीनों,गृहनिर्माण संस्थाए,व्यावसायिक गाला,औद्योगिक क्षेत्रो में अतिक्रमण है। शहर का अतिक्रमण हटाने के लिए मनपा में स्वतंत्र अतिक्रमण विभाग है लेकिन अतिक्रमण विभाग की कार्यशैली ऐसी रही है जिससे लोग आश्वस्त हो चुके हैं कि शहर का अतिक्रमण हटाने में यह विभाग हमेशा निकम्मा रहा है। मनपा में व्याप्त भ्रस्टाचार के कारण या तो कार्रवाई के नाम पर केवल खानापूर्ति होती है या फिर अतिक्रमणधारकों से अंदरखाने से समझौता। मनपा अतिक्रमण विभाग ठीक से अतिक्रमण विरोधी मुहिम चलाने में नाकामयाब रही है। अनाधिकृत निर्माण को रोकने की मुख्यरूप से जिम्मेदारी स्थानीय प्रभाग समिती के सहायक आयुक्त की होती है। लेकिन वे इसे सार्थक रूप से सदैव नजरअंदाज करते आ रहे हैं. वसई विरार मनपा ने अनधिकृत निर्माणों को रोकने के लिए चौकियां स्थापित की थीं लेकिन सभी जानते हैं कि इसकी कार्यशीलता और ज़िम्मेदारियाँ सिर्फ़ वसई विरार मनपा के फाइलों तक ही सीमित है.आशंका जताई जा रही थी कि अधिकारीयों की चुनावी व्यस्तता को देखते हुए भूमाफिया अतिक्रमण के लिए सक्रिय होंगे, हुआ भी वही,भूमाफिया बेतहाशा अवैध निर्माण करने में जुटे हैं और अधिकारीयों निर्जीव बन अतिक्रमण को शह दे रहे हैं .मनपा में भ्रष्टाचार इस कदर हावी है कि, अतिक्रमण विभाग कार्रवाई के नाम पर औपचारिकता निभाकर उनका लाव-लश्कर आगे बढ़ जाता है। सुबह हटाया गया अतिक्रमण दोपहर बाद फिर बस जाता है। अतिक्रमण विभाग के अधिकारीयों,कर्मचारियों एवं अभियंताओं को दोबारा पलटकर देखने की ज़हमत नहीं उठाते। इसे उनकी मज़बूरी कहें या भ्रष्टाचार के बढ़ते प्रभाव का नतीज़ा। भ्रष्टाचार का आम नागरिकों के अधिकारों पर सबसे बड़ा प्रहार है। अतिक्रमण के कारण जब भी अप्रिय घटना या लोगों की जान जाती है या वसई विरार मनपा पर कोई दबाव डाला जाता है, तो शीर्ष नागरिक अधिकारी अतिक्रमण विरोधी अभियान शुरू करते हैं। लेकिन ये महज़ दिखावा होता है.वास्तविकता यह है कि जो मनपा अधिकारी अतिक्रमण विरोधी अभियान का आदेश देते हैं,वही अधिकारी समानान्तर रूप से नोटों के बंडल के चमक के कारण उसी भूखंड पर अवैध संरचनाओं का निर्माण करने वाले बिल्डरों को उकसाते भी हैं। वसई-विरार और नालासोपारा में इसका विकराल रूप देखने को मिलता है।
अभी हाल ही में 29th फरबरी 2024 नालासोपारा (पूर्व) के पेल्हार में चौधरी कंपाउंड में एक गोदाम का अवैध निर्माण चल रहा था। पांच मजदूर 20 फीट ऊंची परिसर की दीवार का निर्माण कर रहे थे, तभी दीवार का कुछ हिस्सा ढह गया और उन पर गिर गया। इस घटना में 30 वर्षीय एक मजदूर की मौत हो गई और चार अन्य घायल हो गए। कल एक ऐसा ही एक घटना प्रकाश में आया जिसमे नायगांव में कामन स्थित साष्टीकरपाडा इलाके में हो रहे अवैध निर्माण के दौरान दिवार ढह जाने से आकाश टिकोरीलाल नामक एक 21 वर्षीय मज़दूर की मौत हो गयी और एक और मज़दूर सियालाल रंगी लाल गौतम, गंभीर रूप से ज़ख़्मी हो गए. अभी हमने कुछ ही दिन पहले अपने रिपोर्ट के जरिये चिन्हांकित किया था कि धुरी इंडस्ट्रियल एस्टेट में गोवलिस इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के ऊपर एक तो अवैध निर्माण कर रहे हैं दूसरा बिना सुरक्षा उपकरणों के ग़रीब मज़दूरों से काम करवाया जा रहा है,इससे कभी भी कोई अप्रिय घटना हो सकती है.शायद प्रभाग समिती G(वालिव) के सहायक आयुक्त,अतिक्रमण विभाग के अभियंता एवं अन्य कर्मचारी इसी का इंतज़ारकर रहे हैं? अफ़सोस की बात यह है कि पिछले कुछ दिनों से अवैध निर्माण के चलते लगातार हो रही मज़दूरों की मौतों पर ना ही वसई विरार मनपा संज्ञान ले कार्यवाई कर रही है और ना ही मानवाधिकार आयोग? ऐसा लगता है कि अवैध निर्माण को लेकर महानगरपालिका के क़ानून नोटों के बंडलों के नीचे दबा हुआ नज़र आता है.महानगरपालिका सीसी(कमेंसमेन्ट सर्टिफिकेट)बाँटने की मशीन हो गयी है,भूमाफियाओं/ठेकेदारों द्वारा बिल्डिंग निर्माण को लेकर तय मानकों की अधिकारियों के नाक के नीचे खुलेआम अनदेखी कर रहे है और ऐसे में मनपा के अधिकारीयों द्वारा कार्यवाई के नाम पर मुंह फेर लेने से ऐसा प्रतीत होता है की अवैध निर्माण मनपा द्वारा ही संरक्षित है,


“अवैध निर्माण” वसई विरार मनपा के लिए है भ्रटाचार रूपी सोने का अंडा

हेंड्रिक्स नामक एक स्थानीय कार्यकर्ता ने 2019 में एक जनहित याचिका दायर की थी और वसई विरार मनपा पर आरोप लगाया था कि वसई-विरार-नालासोपारा में 12,606 अवैध संरचनाएं है और इन अवैध अतिक्रमणकारियों के खिलाफ वसई विरार मनपा ने शून्य या आंशिक तौर पर कार्रवाई की है. इस प्रकार के अवैध निर्माण के कारण इलाके में मानसून के दौरान गन्दगी से स्थानीय महामारी,भारी जलभराव या बाढ़ जैसी स्थिति उत्पन्न होती है. इस PIL में कार्यकर्ता ने अपने हलफनामे में 12,606 अवैध संरचनाओं के बारे में उच्च न्यायालय को सूचित किया था लेकिन वसई विरार मनपा के अधिकारियों ने अपने जवाबी हलफनामे में सभी अवैध अनधिकृत संरचनाओं का खुलासा नहीं किया था। वसई विरार मनपा के अधिकारियों ने अपने जवाबी हलफ़नामे में केवल 2,800 अवैध संरचनाओं का उल्लेख किया था? इससे समझा जा सकता है कि किस प्रकार वसई विरार मनपा “अवैध निर्माण/बांधकाम” को छुपाने के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर देती है, उच्च न्यायालय तक को भी चकमा देने से नहीं डरती! ध्यान रहे 12606 अवैध संरचनाओं का आंकड़ा तो साल 2019 तक का है,जिस तरह से वसई विरार मनपा “अवैध निर्माण” का पालन पोषण करती है उसके अनुसार सोचिये कि 2024 में यह बढ़कर कितना हो गया होगा? क्या ये इस बात का घोतक नहीं है कि “अवैध निर्माण” वसई विरार शहर महानगरपालिका के लिए भ्रटाचार रूपी सोने का अंडा है जिसमे मुलाज़िम से लेकर साहेब तक सभी इसका लुत्फ़ उठाते है?

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